राजा रवि वर्मा
भारत के महान चित्रकारों में से प्रमुख थे राजा रवि वर्मा जिन्हे विवादों के राजा भी कहा जाता है| यद्यपि आज हर घर में देवी-देवताओं के चित्र पूजे जाते हैं पर जब रवि वर्मा ने देवी-देवताओं को चेहरा दिया तो उन्हे विरोध का सामना करना पड़ा|
वाटर कलर में निपुणता प्राप्त करने वाले रवि वर्मा की प्रसिद्धि देश विदेश तक फैली हुई थी और जो हमेशा के लिए अपनी कला से अपनी अमिट छाप लोगों के हृदय में अंकित कर गए| यह नाटक उन पर चलाए गए केस पर आधारित है|
पहला दृश्य– अखबारों की सुर्खियां – प्रसिद्ध चित्रकार पर देवी देवताओं का अपमान
और अश्लीलता का आरोप,
दूसरा दृश्य-दादा भाई नारोजी, गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा इस केस को नजरअंदाज करने की सलाह किन्तु रवि वर्मा अपनी बात रखने के पक्ष में थे।
Flash back – सुगंधा का मिलना, चित्र तैयार करते हुए ॥ song, dance
तीसरा दृश्य-कोर्ट में अपनी बात रखते हुए – वाद विवाद, कलाकार के दृष्टिकोण को प्रकट करना
चौथा दृश्य-स्वामी विवेकानंदा द्वारा मिलना, प्रशंसा करना
अंत ---- अपने समय से बहुत आगे के चित्रकार थे, आधुनिक भारतीय कला के जनक
पहला दृश्य
(सुबह समाचार पत्र बेचने वाला - जोर-जोर से बोलते हुए –)
आज की ताजा खबर, आज की ताजा खबर
राजा रवि वर्मा के खिलाफ़ केस, क्या होगा आगे? पढ़िए ताजा खबर, आज की ताजा खबर|
दादाभाई -- ये हम क्या सुन रहे हैं?
राजा रवि वर्मा पर कैसा केस?
और कौन कर रहा है?
गोपाल कृष्ण गोखले- एक न एक दिन तो ये होना ही था|
जो लोग कला की बारीकी,उसकी कलात्मक से परिचित नहीं हैं केवल सतही चीजें देखते हैं, वही आरोप लगाते हैं ।
दादाभाई - आरोप है क्या?
गोपाल कृष्ण गोखले - उन पर आरोप है कि उन्होंने देवी देवताओं की पवित्रता को भंग कर दिया है, क्योंकि उनके चित्र अब घर-घर में पहुँच गए हैं और देवी देवताओं के अर्द्ध नग्न चित्र अश्लीलता फैला रहे हैं|
दादाभाई- लोगों की सोच में परिवर्तन लाना सरल नहीं है।
गोपाल कृष्ण गोखले- आप सही कह रहे हैं, हर काल में, हर युग में सच्चे कलाकार को, समाज के सुधारक को प्रताड़ना सहनी ही पड़ती है|
दादाभाई – ऐसा कुछ होगा,इसकी आशंका तो हमें हो ही गई थी|
(राजा रवि वर्मा का प्रवेश)
दादाभाई- आइए राजा साहब
राजा रवि वर्मा- आप मुझे रवि ही कहिए, राजाओं का समय चला गया है|
गोपाल कृष्ण गोखले- रवि, हम दोनों यही चाहते हैं कि आप इस बात को आगे न बढ़ाएं और—--(रवि वर्मा का तुरंत ही बोल पड़ना)---
राजा रवि वर्मा- मेरी कला ने मुझे यह विश्वास दिया है कि मैं इस चुनौती का सामना करूँ और मेरे विरुद्ध जो आरोप लगाए गए हैं, उनका उत्तर दूँ,उनका खंडन करूँ| आशा है आप दोनों से कोर्ट में मुलाकात होगी|
(राजा रवि वर्मा का प्रस्थान)
राजा रवि वर्मा---- स्वयं से
“कला हमेशा पवित्र होती है,कला ही मेरा आत्मविश्वास है,मेरा जीवन है,आज मुझे अपनी तूलिका को कुछ समय एक किनारे रखकर कानून से संबंधित पुस्तकों में डूबना होगा|”
सुगंधा का प्रवेश –(उदास और सूनी आँखें)
सुगंधा- क्या आप अपना केस खुद लड़ने वाले हैं? किसी बड़े वकील को क्यों नहीं ले लेते?
रवि वर्मा – हाँ, मैं अपना केस खुद लड़ने वाला हूँ। वकील तो केवल कानून की बातें करेगा, उसे कला, अभिव्यक्ति और भावों का क्या पता? इसलिए अपनी बात मैं स्वयं रखूँगा, तुम चिंता न करो, सुगंधा|
सुगंधा- कैसे न करूँ? मेरे चित्र तो सब जगह पहुँच ही गए हैं, मैं समाज में अपना मुँह कैसे दिखाऊँगी?
रवि वर्मा- तुम्हारे ही इस प्रयास से मैं इस कला को, पुराणों के उन पात्रों के चित्रों के माध्यम से जीवंत कर सका और जन-जन तक पहुंचा सका, आज न सही पर आने वाला समय, इस बात को समझेगा, मुझे और तुम्हें सही समझेगा|
(सुगंधा भारी मन से वहाँ से चली जाती है)
(गीत-नृत्य)-किसी गीत को लेकर नृत्य को दिखाया जा सकता है|
दूसरा दृश्य
कोर्ट का दृश्य
जज का अपने स्थान पर बैठना
जज द्वारा केस आरंभ करना – रवि वर्मा, आप पर आरोप है कि आपने नग्न चित्रों के माध्यम से समाज में अश्लीलता फैलाई है और हिन्दू देवी देवताओं के चित्र घर-घर में पहुंचाकर उनकी पवित्रता कम कर दी है| आपके वकील कौन होंगे?
रवि वर्मा – जज साहब, मैं एक कलाकार हूँ कोई वक्ता या वकील नहीं, किन्तु यह केस मेरे चित्रों से संबंधित है, इसलिए मुझे अपना केस खुद लड़ने की अनुमति दीजिए|
(आरोपकर्ता की ओर से वकील केशव शर्मा का उत्तर देना)
केशव शर्मा – जज साहब, (मुस्कराते हुए)इन्हें कोई वकील नहीं मिलने वाला,केस ही ऐसा है कि कोई वकील इनके बचाव के लिए सहमत ही नहीं होगा| क्या आरोपी को कानून का ज्ञान है?
रवि वर्मा- जज साहब केस की शुरुआत से पहले ही इस तरह का विरोध न्यायालय के मन को भ्रमित कर सकता है|
जज-(केशव शास्त्री के प्रति) - कृपया अपने प्रश्नों को भविष्य के लिए सुरक्षित रख लें,
केशव शास्त्री अब आप अपना केस अदालत के समक्ष रख सकते हैं|
केशव शास्त्री - आज हम एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ़ मुकदमा लेकर आए हैं, जिसने धर्म के सारे नियमों को तोड़ दिया है और जिसने अनैतिक व्यवहार किया है|
योर ऑनर, मैं इन आरोपों को साबित भी करूँगा| इस अदालत में न जाने कितने ही आरोपी आए होंगे, लेकिन इस आरोपी ने तो हमारे धर्म पर ही हमला कर दिया है, धर्म के प्रति आस्था और विश्वास के लिए हम कई तरह के रीति रिवाजों का कठोरता से पालन करते हैं, मंदिरों में हाथ पैर धोए बिना या निर्धारित वस्तुओं के बिना प्रवेश नहीं करते, कुछ नियमों का पालन करते हुए मूर्तियों की स्थापना मंदिरों में की जाती है,ऐसे में रवि वर्मा ने सर्दियों से आई परंपरा से खिलवाड़ किया है|
जज - कृपया अपने केस के बारे में ही बात करें और मुद्दे की बात तक आयें |
केशव शर्मा-योर ऑनर रवि वर्मा ने देवी देवताओं की लाखों तस्वीरें छापी हैं जो हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ है| ये तस्वीरें केवल पूजा पाठ के लिए उपयोग नहीं हो रहीं बल्कि बैठकों में सजावट की वस्तु बन गई हैं, इन्होंने देवी देवताओं के नग्न चित्र बनाए और लोगों ने लाखों प्रिंट (चित्र-प्रिंट का हिंदी शब्द) केवल धार्मिक मंशा से तो नहीं खरीदे होंगे|
योर ऑनर, महाभारत में तो कई दृश्य हैं लेकिन इन्होंने चुनिंदा दृश्य लिए हैं जैसे विश्वामित्र मेनका, उर्वशी-पुरुरवा,द्रौपदी चीरहरण इत्यादि| हिंदू होने के नाते इस तरह के अपमान को लोग सहन नहीं कर सकते| ऐसे स्वार्थी और लालची कलाकार हमारे देवी देवताओं को जैसा जी चाहे वैसा दिखाते हैं किन्तु जनता इस अनैतिक कृत्य का विरोध करती है| मैं न्यायमूर्ति से अपील करता हूँ कि इन्हें अधिकतम दंड दिया जाए|
जज- रवि वर्मा, केशव शास्त्री ने आप पर जो आरोप लगाए हैं, वे आपने सुने, अब अपने बचाव में आप क्या कहना चाहेंगे ?
रवि वर्मा - योर ऑनर, मैं जानता हूँ कि वकील साहब अच्छे ज्ञाता हैं, विद्वान और पंडित भी हैं किंतु विनम्रता के साथ मैं कहना चाहता हूँ कि मैं भी एक विद्वान, पंडित और उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्ति की संतान हूँ|
मैं अपने विरुद्ध किए गए केस के बारे में बात कहना चाहता हूँ| पहली बात तो ये कि मेरे चित्र अश्लील नहीं हैं, बल्कि उनमें भावों की सच्ची अनुभूति है| अगर आप ठीक से देखेंगे तो आप सुंदरता की सराहना करेंगे क्योंकि वह भी ईश्वर के द्वारा मिला हुआ वरदान है|
केशव शास्त्री- योर ऑनर, इन चित्रों को देखकर ही ये आरोप लगाए गए हैं|
रवि वर्मा- योर ऑनर, मुझे अपनी बात पूरी कहने का मौका दिया जाए|
जज- केशव शास्त्री, आप शांत रहिए|
रवि वर्मा- मुझ पर आरोप लगाया गया है कि मैं लोगों के घर-घर तक देवी देवताओं को पहुंचाने का जिम्मेदार हूँ, जिससे उनकी पवित्रता कम हुई है लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ कि ईश्वर तो सब जगह है, किसी एक स्थान, किसी एक व्यक्ति या जाति का नहीं है| समाज में कितने ही लोग हैं जिन्हें सामाजिक बंधनों के कारण मंदिरों में दर्शन के लिए रोक दिया जाता है| इसे मैं अपना सौभाग्य समझूंगा कि मेरे चित्रों के कारण लोग अपने घरों में देवी देवताओं के दर्शन कर लेते हैं जो मेरी कला और मेरे जीवन दोनों को ही संतुष्टि देता है|
योर ऑनर, सदियों से धर्म के जो ठेकेदार, स्वयं को धर्म का रक्षक मानते हैं, जो धर्म को बचाने का दावा करते हैं किन्तु संसार भर में कितने ही ऐसे उदाहरण हैं, जो बताते है कि धर्म के ठेकेदारों ने सदियों तक संत महात्माओं को, महान पुरुषों को यातनाएं दी थी और उन्हें पथ भ्रष्ट कहा था।
केशव शास्त्री - (बीच में ही रवि वर्मा को टोकते हुए) आप क्या अपनी तुलना किसी संत से कर रहे हैं?
रवि वर्मा -यह प्रश्न पूछने से पहले आपको माननीय जज साहब से अनुमति लेनी चाहिए थी|
(कोर्ट में शोर होने लगता है)
जज- (कठोरता से —शांत रहिए)
रवि वर्मा-वैसे आपका प्रश्न गलत नहीं है| एक संत और सच्चा कलाकार एक समान होते है, क्योंकि दोनों ही उस सर्वशक्तिमान की सच्ची सराहना करते हैं चाहे वह कला से करें, भक्ति से करें या प्रेम से करें|
योर ऑनर, मैं अपनी बात की पुष्टि के लिए एक उदाहरण देना चाहता हूँ कि क्या जिस शबरी ने भगवान राम को झूठे बेर खिलाए थे, क्या आप उसे ऐसी स्त्री मानेंगे जिसने भगवान को अपवित्र कर दिया और ऐसे कितने ही उदाहरण ग्रंथों में लिखे हुए हैं, तो क्या भगवान अपवित्र हो गए?
मैं अपने ऊपर लगाए गए दोषों को स्वीकार नहीं करता|
केशव शास्त्री(बीच में बोलते हुए) योर ऑनर, - रवि वर्मा की कला अश्लील है, इसे ये अस्वीकार नहीं कर सकते|
रवि वर्मा- योर ऑनर, प्रेम हो, ममता हो, वात्सल्य हो किसी का भी संबंध नग्नता या अश्लीलता से नहीं होता| चाहे मैं किसी महिला भिखारी को दिखाऊं जिसके कंकाल जैसे शरीर पर कोई वस्त्र ना हो, चाहे किसी पौराणिक दृश्य को दिखाऊँ, उस दृश्य के पीछे जो ममता है, जो प्रेम है, जो आक्रोश है या जो वेदना है, उस अनुभूति की ओर ध्यान देना चाहिये और उन्हें दिखाना ही मेरी कला है|अगर मेरे चित्र अश्लील हैं तो अजंता की मूर्तियों को क्या कहेंगे? योर ऑनर, मुझे अपनी कला पर, अपनी अभिव्यक्ति पर पूर्ण विश्वास है, और मैं स्वयं को निर्दोष मानता हूँ |
(ज्यूरी से विचार-विमर्श करने के बाद) जज – सर्व सम्मति से अदालत यह निर्णय लेती है कि राजा रवि वर्मा निर्दोष हैं। कला को अगर संकुचित दृष्टि से देखेंगे तो कला कभी विकसित नहीं होगी, वे अपनी कला को आगे बढ़ाने के लिय स्वतंत्र हैं |
तीसरा दृश्य
चेतु - आज खुशी का दिन है राजा साहब, मैं मिठाई बाँटने जा रहा हूँ|
रवि वर्मा- आज कला की जीत हुई है चेतु|
चेतु- आपके केस की जीत पर बहुत से संदेश आए हैं-लोकमान्य तिलक,दादा भाई नैरोजी,गोपाल कृष्ण गोखले और महाकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी का|
रवि वर्मा- कला की परख करने वाले इन महापुरुषों को मेरा प्रणाम, आज इन्हीं के उदार विचारों की जीत हुई है।
चेतु- आपने उचित ही कहा है-
चेतु – (उल्लास सहित) राजा साहब, राजा साहब, देखिए हमारे द्वार पर महापुरुष पधारे हैं।
रवि वर्मा- कौन है, चेतु
चेतु- स्वामी विवेकानंद जी महाराज
स्वामी जी का आगमन
राजा रवि वर्मा- (भावावेश में) स्वामी जी आपने क्यों कष्ट किया, मुझे बुला लिया होता।
स्वामी जी – रवि, सामान्य रूप से मैं किसी के घर नहीं जाया करता| मैंने देश-विदेश में भाषण दिए हैं, पर तुमने तो देवी-देवताओं को घर-घर पहुंचाया है, इसलिए मैं स्वयं तुमसे मिलना चाहता था| समाज में जिस प्रकार की एकता और समानता लाने के लिय मैं प्रतिबद्ध हूँ, उसी को तुमने अपनी कला के माध्यम से किया है|
राजा रवि वर्मा- आपका आशीर्वाद है | स्वामी जी, हालांकि मुझमें इतनी क्षमता नहीं कि मैं आपका चित्र बना सकूँ फिर भी मैं इसकी अनुमति चाहता हूँ| क्या मैं आपका एक चित्र बना सकता हूँ?
स्वामीजी- तुम जैसे अंतर्राष्ट्रीय कलाकार से चित्र बनवाना मेरे लिए गर्व की बात होगी|
राजा रवि वर्मा का सिर झुकाना
स्वामीजी- विजयी भव:
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सरहानीय प्रयास ! आशा है ऐसे ही इतिहास से जुड़े नाट्य रूपातरण पढ़ने को मिलेंगे, लिखती रहिए !!
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हटाएं'राजा रवि वर्मा' नाटक में उन पर चलाए गए कोर्ट केस और उनसे संबंधित विवादों को अत्यंत प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया गया है|
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